पूर्व नगरपालिका उपयंत्री राजेश उपाध्याय ने शहर किला क्षेत्र में 26 लाख लीटर क्षमता वाली टंकी का निर्माण कराया था। उनके जाने के बाद टंकी का काम पूरा हुआ। कुछ माह पूर्व वर्तमान उपयंत्री व सहायक इंजीनियरों ने टेस्टिंग के लिए टंकी में पानी भरा। इसको पूरा भरने पर उसमें सेटलमेंट देखा गया व कुछ समय में टंकियों के पिलर व ज्वाॅइंट में दरारें आने लगीं। स्थिति को भांपते हुए ही नपा ने टंकी को खाली कर दिया। इसके बाद उसे भरना बंद कर दिया।
जगह का चयन ही गलत
कलेक्टर ने तीन सदस्यीय जांच दल बनाया था। जांच दल के अनुसार इंजीनियर ने जगह का चयन ही गलत किया है। उन्होंने ठोस कार्रवाई के लिए तीन तरह के स्वाइल टेस्ट कराने के निर्देश दिए। इस पर मंगलवार को परीक्षण के लिए इंदौर एसजीएसआईटीएस (श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान) से असिस्टेंट टेक्नीशियन मुकेश सक्सेना व जीओटेक के प्रोफेसर डॉ. सुनील अहिरवार मंदसौर पहुंचे। टेस्टिंग के लिए इनके द्वारा टंकी के आसपास 8 जगह खुदाई कर अलग-अलग गहराई पर मिट्टी के सैंपल लिए जाएंगे। इसके लिए बुधवार को खुदाई की जाएगी। मिट्टी के सैंपल को इंदौर कॉलेज में टेस्ट किया जाएगा। जांच रिपोर्ट में सवा माह लग जाएगा।
इतना बड़ा कंस्ट्रक्शन नहीं करना था
सक्सेना ने बताया कि केवल स्वाइल बैरिंग टेस्ट के आधार पर इतना बड़ा कंस्ट्रक्शन नहीं करना था। स्वाइल बैरिंग टेस्ट केवल डिजाइन व कंस्ट्रक्शन के भार को सहन करने की रिपोर्ट देता है। मिट्टी में सेटलमेंट होने से गड़बड़ी हो सकती है। जमीन में पानी कितना व कितनी स्पीड से जा सकता है, इन सभी की जांच कराना चाहिए। अब शासन के आदेश पर जांच करेंगे उसके बाद रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। इंजीनियर अभी कुछ भी कहने से बच रहे हैं। हालांकि इंजीनियर ने दबी जुबान में भास्कर को बताया कि टंकी पूर्व की तरफ माइनर झुकी है। ऊपर पहुंचते-पहुंचते करीब पौन इंच का सेटलमेंट हाे सकता है। हालांकि इसकी पुष्टि भी जांच रिपोर्ट के आधार पर ही होगी। जानकारों ने बताया कि टंकी के नीचे यदि ठोस जमीन या चट्टान नहीं मिली तो समस्या हाे सकती है।